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उत्तराखंड के सबसे बड़े मोस्ट वॉन्टेड बदमाश को चमोली पुलिस ने किया गिरफ्तार

देहरादून। उत्तराखंड में संगठित अपराधियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने हेतु वर्ष 2005 में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया था। स्पेशल टास्क फोर्स को अंग्रेज सिंह जो मय सह अभियुक्तों के पुलिस अभिरक्षा से फरार हो गया था और दूसरा सुरेश शर्मा जिसने तीर्थ नगरी बद्रीनाथ में सरेआम डीजीसी बालकृष्ण भट्ट की हत्या की थी, को गिरफ्तार करने के 02 प्रमुख टास्क दिये गये थे। इनमें अंग्रेज सिंह को वर्ष 2007 में उत्तराखंड पुलिस के द्वारा मुठभेड़ में मार गिराया गया था। जबकि सुरेश शर्मा उपरोक्त लगातार फरार चल रहा था। इसकी गिरफ्तारी के लिये एसटीएफ पिछले 24 सालों से गिरफ्तारी का प्रयास कर रही थी। लेकिन टी। द्वारा 23 जनवरी को बदमाश सुरेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया है।

एसटीएफ की टीम के साथ बदमाश की गिरफ्तारी को उत्तर प्रदेश, दिल्ली व अन्य राज्य के विषेश पुलिस बल भी गिरफ्तारी का प्रयास कर रहे थे। किंतु सफलता प्राप्त नहीं हो पाई। नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड दीपम सेठ द्वारा उत्तराखंड राज्य में जघन्य अपराधों में लम्बे समय से वांछित इनामी अपराधियों की गिरफ्तारी हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ को विषेश रूप से निर्देशित किया गया। उक्त निर्देश के क्रम में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ नवनीत सिंह द्वारा पुलिस उपाधीक्षक,एसटीएफ आरबी चमोला के निकट पर्यवेक्षण में एक टीम का गठन कर उपरोक्त लम्बे समय से फरार अपराधी की गिरफ्तारी हेतु उचित दिशा निर्देश दिये गये। गठित टीम द्वारा पूर्व में प्राप्त तकनीकी तथा भौतिक सूचनाओं का वर्तमान में प्राप्त सूचनाओं से मिलान करते हुए उक्त अपराधी की पहचान स्थापित कर की। तत्पश्चात दिनांक 23 जनवरी 2025 को निरीक्षक अबूल कलाम के नेतृृत्व में उप निरीक्षक विद्यादत्त जोशी, नवनीत भण्डारी, एचसीपी संजय कुमार,सिपाही मोहन असवाल, जितेन्द्र एसटीएफ, टीम द्वारा अभियुक्त सुरेश शर्मा को जमशेदपुर झारखंड से गिरफ्तार किया है।

25 साल पहले बद्रीनाथ में किया था मर्डर

अभियुक्त सुरेश शर्मा पुत्र श्री दयाराम शर्मा मूल निवासी बद्रीश आश्रय, नियर अंकुर गैस एजेंसी, लिसा डिपो रोड, आशुतोष नगर ऋषिकेश का वर्ष 1988 से क्वालिटी नाम से तीर्थनगरी बद्रीनाथ में एक रेस्टोरेंट था। वर्ष 1999 में तत्कालीन डीजीसी बालकृष्ण भट्ट, जो जनपद चमोली में तैनात थे जिनका सुरेश शर्मा से रेस्टोरेंट की भूमि को लेकर विवाद था। जब विवाद बढ जाने के कारण अभियुक्त सुरेश शर्मा के द्वारा दिनाॅक 28.04.1999 को बालकृष्ण भट्ट की दिनदहाड़े सरेआम चाकु से गोदकर हत्या कर दी। इस घटना से तीर्थनगरी बद्रीनाथ दहल उठी। अपराधी सुरेश शर्मा घटना में मौके पर गिरफ्तार हुआ परन्तु कुछ समय पश्चात अभियुक्त को जमानत मिल गई। वह जेल से बाहर आ गया। कुछ समय पश्चात उच्चतम न्यायालय द्वारा उक्त अभियुक्त की जमानत खारिज कर दी गई। जिसके पश्चात गिरफ्तारी से बचने हेतु अभियुक्त सुरेश शर्मा फरार हो गया।

ईनामी बदमाश को पुलिस ने ऐसे किया गिरफ्तार

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ नवनीत सिंह के निर्देशन में फरार अपराधी सुरेश शर्मा से सम्बन्धित पुर्व में किये गये तकनीकी कार्यों एवं भौतिक सूचनाओं जैसे अपराधी का फिंगर प्रिन्ट, वाईस सेंपल व अन्य दस्तावेजों का पुनः बारिकी से विश्लेषण किया गया। विश्लेषण से प्राप्त नए तथ्यों का डिजीटल वेरिफिकेशन एवं भौतिक सत्यापन हेतु टीम को महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल एवं झारखण्ड भेजा गया। टीम द्वारा एक संदिग्ध व्यक्ति को चिन्हित किया गया जिसके पास मनोज जोशी पुत्र रामप्रसाद जोशी निवासी 24 परगना, पश्चिम बंगाल की आधार पहचान पत्र था चूंकि अपराधी का 24 वर्ष पुराना फोटोग्राफ होने के कारण वर्तमान में चेहरे की मिलान करना सम्भव नही हो पा रहा था। अतः टीम द्वारा उक्त संदिग्ध के सम्बन्ध में पतारसी सुरागरसी की गई एवं पूर्व में सुरेश शर्मा चमोली जेल से फिंगर प्रिन्ट प्राप्त कर उक्त संदिग्ध के उठने बैठने के सार्वजनिक स्थानों से गोपनीय रूप से प्राप्त कर मिलान किया गया एवं चेहरे के मिलान हेतु भी विभिन्न साफ्टवेयर का प्रयोग कर टीम द्वारा पहचान को स्थापित हो जाने पर अभियुक्त को दिनांक 23.01.2025 को जमशेदपुर झारखंड से गिरफ्तार कर सम्बन्धित माननीय न्यायालय प्रस्तुत कर ट्रांजिट रिमांड प्राप्त कर उत्तराखण्ड लाया गया।

पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताई ये कहानी

अभियुक्त सुरेश शर्मा ने पूछताछ में बताया कि उपरोक्त अभियोग में मेरी 40 दिन के बाद जमानत हो गई थी और मैं छूटने के बाद अपने रिश्तेदारों के यहां मुंबई चला गया। कुछ दिन वहां रहने के पश्चात मुझे पता चला कि मेरी जमानत खारिज हो गई और मेरे घर वालों ने मुझे वापस बुलाया किंतु मैं घर वापस न जाकर कोलकाता चले गया। वहां पर मैंने पहले सड़क किनारे ठेली लगाकर खाना बनाने का काम शुरू किया। कुछ समय बाद मैने कपड़ों का व्यापार किया तथा लॉकडाउन के बाद से मैं एक रग मेटल ट्रेडिंग कंपनी का व्यवसाय कर रहा था जो की स्क्रैप का काम करती है। कम्पनी के काम से मै भारतवर्ष के अलग-अलग शहरों में भ्रमण करता रहता हॅू तथा इसी कार्य से जमशेदपुर आया था। जहॅा मैने पहचान छिपाने के लिये मनीष शर्मा नाम रखा तथा इसके बाद मनोज जोशी के नाम अपने दस्तावेज बना लिये। वर्तमान में मेरी एक पत्नी जिसका नाम रोमा जोशी जो पश्चिम बंगाल की रहने वाली है तथा दो पुत्र हैं।

अभियुक्त का विवरण

सुरेश शर्मा पुत्र दयाराम शर्मा मूल निवासी बद्रीश आश्रय, नियर अंकुर गैस एजेंसी, लिसा डिपो रोड, आशुतोष नगर ऋषिकेश।

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