उत्तराखंड में दो अफसरों को जबरन रिटायरमेंट की तैयारी, निकम्मे अफसरों में मचा हड़कंप
देहरादून। उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने भ्र्ष्टाचार से जुड़े अफसरों की कुंडली खंगालने के आदेश के साथ ही निकम्मे अफसरों को जबरन रिटायरमेंट की तैयारी कर दी है। इसके लिए दो आईएफएस की फ़ाइल तैयार कर सीआरएस यानी अनिवार्य सेवानिवृत्त के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुमोदन को भेज दी है। सीएम का अनुमोदन मिलते ही इन दो अफसरों को जबरन विभाग से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। वन मंत्री के इस निर्णय से विभाग में हड़कंप मचा है। इधर, कुछ और विभागों में भी ऐसे अफसरों को चिन्हित करने की तैयारी चल रही है।
उत्तराखंड में नई सरकार भ्रष्ट और निकम्मे अधिकारियों-कर्मचारियों से सख्ती से निपटने के मूड में है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वन विभाग में 2 आईएफएस (Indian Forest Service) अधिकारियों की फाइल तैयार कर दी है। इस फ़ाइल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुमोदन मिलते ही वन महकमे के 2 आईएफएस अधिकारियों को विभाग से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। मंत्री सुबोध उनियाल भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ पहले दिन से मुखर दिखाई दे रहे हैं। विभागीय मंत्री ने महकमे का चार्ज लेते ही सबसे पहले अपर मुख्य सचिव वन आनंद वर्धन से गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों की फाइलें तलब की थी। पुष्ट सूत्र बताते हैं कि फिलहाल दो आईएफएस अधिकारियों की फाइल तैयार की जा चुकी है। इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय मंत्री ने अपनी कलम चलाते हुए फाइनल अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में फाइल भेज दी है। इन आईएफएस अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला लिया गया है। दोनों ही अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगते रहे हैं। फिलहाल, फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय में मौजूद है। अब मुख्यमंत्री की तरफ से यदि ऐसे अधिकारियों पर सख्ती दिखाई जाती है तो निश्चित तौर से वन विभाग में अधिकारियों को एक बड़ा संदेश दिया जा सकेगा। इसके अलावा यह निर्णय राज्य के अन्य भ्र्ष्ट और निकम्मे अधिकारियों के लिए नजीर बनेगा। बहरहाल दोनों अफसर महकमे में बड़े भ्र्ष्टाचार से जुड़े हुए हैं। इनके खिलाफ विजिलेंस जांच से लेकर विभागीय जांच भी हुई, लेकिन इनकी हनक कम नहीं हुई। अब मंत्री के इस बड़े निर्णय पर यदि मुख्यमंत्री का अनुमोदन मिला तो राज्य में बड़ा संदेश जाएगा।