उत्तराखंडदुर्घटनासड़क हादसा

उत्तराखंड में पांच माह में 659 सड़क दुर्घटनाएं, 409 लोगों ने गवांई जान

देहरादून। परिवहन मंत्री चन्दन राम दास ने राज्य में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु सड़कों की दशा में सुधार किए जाने के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया हैं। इस सम्बन्ध में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने समस्त जिलाधिकारी, सम्बन्धित सचिव, मुख्य अभियंता को पत्र जारी करते हुए महत्वपूर्ण निर्देश दिये हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि वर्ष 2022 में माह मई 2022 तक राज्य में कुल 659 वाहनों की दुर्घटनाएं घटित हुई जिसमें 409 व्यक्तियों की मृत्यु हुई एवं 594 व्यक्ति घायल हुए हैं। यह संख्या गत वर्ष इसी अवधि में हुई दुर्घटना/मृतक/घायलों की संख्या की तुलना में क्रमश 14.61 प्रतिशत, 17.87 प्रतिशत एवं 26.33 प्रतिशत अधिक है। राज्य में वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं के सम्बन्ध में मुख्यमत्री के द्वारा चिन्ता व्यक्त करते हुए दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु तत्काल प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि पर्वतीय मार्गों पर होने वाली दुर्घटनाआंे में जनहानि मैदानी मार्गों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक होती है। सड़कों की दशा में सुधार करते हुए दुर्घटना की आशंका तथा उसमें होने वाली जनहानि को कम किया जा सकता है। अतः सभी मार्गों और विशेषकर पर्वतीय मार्गों पर होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु विशेष कार्ययोजना बनाकर कार्यवाही किए जाने की आवश्यकता है।

हर जिले से मांगी मासिक रिपोर्ट

मुख्य सचिव ने कहा कि पूर्व में समय-समय पर सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति एवं परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में गठित राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक के साथ-साथ मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सम्पन्न बैंठकों में मार्ग सुधार सहित सड़क सुरक्षा के समस्त उपाय जिनमें क्रैश बैरियर की स्थापना प्रमुख है। समयबद्ध रूप से सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती रही है। तदक्रम में पुनः राज्य में कार्यरत समस्त सड़क निर्माण इकाईयों से अपेक्षा की जाती है कि राज्य में सड़कों की दशा के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु निम्नवत कार्यवाही प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित करते हुए कृत कार्यवाही विषयक आख्या मासिक आधार पर शासन एवं सर्वाेच्च न्यायालय के निर्देशानुसार आयुक्त कार्यालय में स्थापित लीड एजेंसी को प्रेषित की जाय। मुख्य सचिव ने कहा कि कि अपने नियंत्रणाधीन मार्गों के सम्बन्ध में उक्तानुसार कार्यवाही हेतु एक स्पष्ट कार्ययोजना तैयार करते हुए उसका समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करायें। इस विषय में विभागीय कार्यों की प्रगति की समीक्षा शासन स्तर पर शीघ्र की जायेगी।

 

सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम को ये दिए निर्देश

(1) चिन्हित समस्त ब्लैक स्पॉट्स के सुधारीकरण हेतु अपेक्षित लघुकालीन एव दीर्घकालीन उपायों से सम्बन्धित कार्य समय-सीमा निर्धारित करते हुए यथाशीघ्र पूर्ण किए जांए।

(2) समस्त दुर्घटना संभावित स्थलों के सुधारीकण हेतु दुर्घटना संभावित स्थलों को अति संवेदनशील एवं संवेदनशील श्रेणी में चिन्हित कर तदनुसार प्राथमिकता निर्धारित करते हुए उनके सुधारीकरण की कार्यवाही की जाय।

(3) पर्वतीय मार्गों पर समस्त राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग एवं एम.डी.आर./ओ.डी.आर. पर क्रैश बैरियर हेतु स्थान चिन्हित करते हुए उनमें शीघ्र क्रैश बैरियर लगाये जाने की कार्यवाही की जाय। क्रैश बैरियर स्थापित करने हेतु सर्वाेच्च न्यायालय की कमेटी द्वारा किए गए आडिट में दिए गए दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाय । कार्यदायी संस्थाओं के द्वारा विगत में क्रैश बैरियर लगाये जाने हेतु स्थान/लम्बाई का चिन्हीकरण किया गया है।

(4) ऐसे स्थान/जंक्शन जहाँ उच्च पदानुक्रम सड़क से निम्न पदानुक्रम सड़क मिलती है, पर स्पीड कामिंग (speed calming) उपाय अनिवार्य रूप से किए जाएं। मा. सर्वाेच्च न्यायालय की समिति के निर्देशानुसार निचली पदानुक्रम सड़क पर 50 मीटर तक स्पीड कामिंग उपाय उच्च पदानुक्रम सड़क से सम्बन्धित कार्यदायी संस्था द्वारा ही किया जायेगा। सम्बन्धित कार्यदायी संस्था द्वारा यह भी प्रयास किया जाय कि मुख्य सड़क मार्ग पर मर्जिंग लेन की व्यवस्था भी की जाय। इस सम्बन्ध में राज्य में समस्त जंक्शन का चिन्हीकरण करते हुए कार्यवाही पूर्ण करायी जाय।

(5) कतिपय स्थान ऐसे है जहाँ केवल उपयुक्त रोड मार्किंग करते हुए भी दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सकती है। अत. राज्य की सभी मुख्य सड़कों पर रोड मार्किंग की कार्यवाही भी प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करायी जाय।

(6) यद्यपि सर्वाेच्च न्यायालय की समिति के द्वारा सभी नई बनने वाली सड़कों एवं दुर्घटना संभावित स्थलों के रोड सेफ्टी आडिट कराये जाने की अपेक्षा समय-समय पर की गयी है, तथापि राज्य में रोड सेफ्टी आडिटर की कमी के दृष्टिगत ब्लैक स्पॉट एवं संवेदनशील मार्गों का रोड सेफ्टी आडिट प्रथम चरण में पूर्ण कराया जाय और आडिट में दिए गए सुझावों के अनुसार अग्रेत्तर कार्यवाही भी समयबद्ध रूप से पूर्ण की जाय।

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