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डबल इंजन की “सरकार” के भगीरथ प्रयास से 41 श्रमिकों को मिली नई “जिंदगी”

देहरादून। सिलक्यारा सुरंग में 17 दिनों से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे 41 श्रमिकों को डबल इंजन की सरकार के भगीरथ प्रयास नई जिंदगी दे गई। करीब 400 घण्टों तक चले बचाव कार्य में जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ततपरता और गंभीरता दिखाई, उसका नतीजा रहा कि अंधेरी सुरंग में डबल इंजन सरकार ने नामुमकिन को भी मुमकिन कर दिखाया। इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाने में बचाव एजेंसियां और अधिकारी भी डबल इंजन की सरकार की मंशा पर खरे उतरे।


सिलक्यारा सुरंग में 12 नवम्बर की सुबह आई आपदा से निपटना आसान नहीं था। राज्य सरकार ने आपदा की गंभीरता को भांपते हुए पहले दिन से ही सभी एजेंसियां यहां झोंक दी थी। लेकिन सुरंग में लगातार मलबा गिरने से बचाव कार्य के लिए आधुनिक मशीनें और विशेषज्ञों की जरूरत महसूस होने लगी थी। सुरंग निरीक्षण बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री को जब बचाव कार्य को लेकर जानकारी साझा की तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी तत्काल पीएमओ को बचाव कार्य में शामिल करने की जिम्मेदारी दे दी। इसके बाद तो भारतीय वायुसेना, बीआरओ, एनडीआरएफ, एसजेवीएनएल, टीएचडीसी, एनएचपीसी, जैसी नामी एजेंसियां यहां पहुंच गई। इसके बाद वायुसेना के विशालकाय जहाज हरक्यूलस की मदद से चिन्यालीसौड़, जौलीग्रांट तक देशभर के अलग अलग कोनों से मशीनें यहां पहुंचाई गई। यही नहीं देश-विदेश के सुरंग बचाव कार्य के नामी विशेषज्ञ भी यहां पहुंचे। यह कार्य डबल इंजन की सरकार से ही संभव हो पाए है। इसमें भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच बेहतर समन्वय और मजदूरों को किसी भी सूरत में सुरक्षित निकालने की केमिस्ट्री सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। बहरहाल सिलक्यारा सुरंग में 17 दिनों से जिंदगी और मौत से जूझ रहे 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल कर डबल इंजन की सरकार ने देश दुनिया में बड़ी नजीर पेश की है।

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