उत्तराखंड विधानसभा में नियमविरुद्ध हुई 228 भर्तियां रद, विधानसभा अध्यक्ष का बड़ा फैसला
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से हुई भर्ती पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बड़ा फैसला लेते हुए 2016 के बाद हुई सभी नियुक्ति रद कर दी है। साथ ही नियमों की अनदेखी पर फोर्सलिव में भेजे गए विधानसभा सचिव को सस्पेंड कर दिया है। पूरे मामले की रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। ताकि भविष्य में होने वाली भर्ती में पारदर्शिता और निष्पक्षता का ख्याल रखा जाए। इधर, भर्ती रद होने का स्वागत करते हुए आम लोगों ने अब जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की जाने लगी हैं।
उत्तराखंड विधानसभा भर्ती प्रकरण के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने अब तक का बड़ा एक्शन लिया है। उन्होंने विधानसभा में 480 में से 228 नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। ये 2012 के बाद से की गई तदर्थ नियुक्तियां हैं। इनमें उपनल से की गई 22 भर्तियां भी रद्द कर दी गईं। इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को भी निलंबित कर दिया है। साथ ही तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल की भूमिका की जांच की जाएगी। वहीं 2012 से पहले हुई नियुक्ति पर विधिक जांच होगी। उन्होंने बताया कि जांच समिति का काम काबिले तारीफ है। इससे पहले विधानसभा में बैकडोर से की गई नियुक्तियों की जांच को बनाई कमेटी ने गुरुवार को देर रात विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी थी। आज विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने समिति की जांच रिपोर्ट की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समिति ने नियुक्तियां रद्द करने का प्रस्ताव सौंपा है। समिति द्वारा नियमों के खिलाफ हुई नियुक्तियों को रद्द करने की सिफरिश गई है। विधानसभा अध्यक्ष के अनुसार वर्ष 2016 से अब तक ये नियुक्तियां रद्द गई थी। इससे पूर्व की गई नियुक्तियों पर विधिक राय ली जा रही है। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि वह दो दिन के अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार के भ्रमण कार्यक्रम पर थीं। गुरुवार देर रात देहरादून उनके शासकीय आवास पर पहुंचने पर जांच समिति द्वारा उन्हें रिपोर्ट सौंप दी गई।
विधानसभा अध्यक्ष ने कही ये बातें
आज विधानसभा सचिवालय में विधानसभा अध्यक्ष ने जांच कमेटी की रिपोर्ट को साझा की। साथ ही कई बड़े फैसलों के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 32 पदों पर भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी गई। सचिव मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया गया। रिपोर्ट 29 पेज की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिफारिशों में गड़बड़ी थी। इनमें नियमों का पालन नहीं किया गया। ना ही किसी चयन समिति का गठन किया गया और ना ही कोई विज्ञापन दिया गया। ये समानता के अधिकार का उल्लंघन है। गौरतलब है कि राज्य गठन के बाद से 22 साल में 480 लोगों को विधानसभा में बैकडोर से नौकरी दी गई। इस पर शोर मचने पर स्पीकर ने तीन सितंबर को रिटायर्ड आइएएस डीके कोटिया, एसएस रावत व आवनेंद्र नयाल की एक जांच कमेटी बनाई थी। इसे एक माह में रिपोर्ट देने को कहा गया था।