उत्तराखंडप्रतिभा को सलामसम्मान

उत्तराखंड की 14 महिलाएं राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित, 35 को मिला आंगनबाड़ी सम्मान

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को आईआरडीटी सभागार सर्वे चौक में आयोजित कार्यक्रम में राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार 2022-23 प्रदान किये। इस वर्ष 14 महिलाओं को राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार एवं 35 महिलाओं को आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार प्रदान किया गया। सभी पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को 51-51 हजार रूपये की धनराशि उनके खाते में डिजिटल हस्तांतरित की गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाली मातृशक्ति को सम्मानित कर वे स्वयं गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वीरांगना तीलू रौतेली ने 15 वर्ष की उम्र में युद्ध भूमि में अपने रण कौशल द्वारा अपने विरोधियों को परास्त किया था। अपूर्व शौर्य, संकल्प और साहस की धनी वीरांगना तीलू रौतेली को उत्तराखंड की झांसी की रानी कहकर याद किया जाय तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने 15 से 22 वर्ष की आयु के मध्य सात युद्ध लड़े और अपनी वीरता और रण कौशल का परिचय दिया।

सम्मान राशि 31 से बढ़ायी 51 हजार

राज्य सरकार ने तीलू रौतेली पुरुस्कार की धनराशि 31 हजार रुपए से बढ़ाकर 51 हजार रुपए की है, जबकि आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरुस्कार की धनराशि भी 21 हजार से बढ़ाकर 51 हजार रुपए की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति मजबूत करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है और इस दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। माता-पिता के बाद बच्चों को संस्कार देने की शुरुआत आंगनबाड़ी केंद्रों से ही होती है। राज्य सरकार द्वारा आंगनबाड़ी बहनों का मानदेय 7500 रुपए से बढ़ाकर 9300 रुपए किया है। मिनी आंगनबाड़ी बहनों के मानदेय को भी 4500 से बढ़ाकर 6250 और सहायिकाओं का मानदेय 3550 से 5250 रुपए किया है।

राज्य के विकास में मातृ शक्ति की बड़ी भूमिका

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के विकास के लिए हर क्षेत्र में मातृ शक्ति की बड़ी भूमिका रही है। उत्तराखण्ड को अलग राज्य बनाने की मांग हेतु हुए आंदोलन में सबसे बड़ा बलिदान हमारी मातृशक्ति ने ही दिया था। आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं, चाहे घर हो या युद्ध का मैदान, राजनीति हो या सिनेमा, वैज्ञानिक क्षेत्र हो या कृषि, शिक्षा और अनुसंधान का क्षेत्र महिलाओं ने हर जगह अपने आपको साबित किया है। आज प्रदेश के सुदूर गांवों में महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर कुटीर उद्योगों के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर रही हैं। महिलाओं के पास कौशल की कभी कोई कमी नहीं रही और अब यही कौशल उनकी और उनके परिवारों की आर्थिकी को बल प्रदान कर रहा है।

केंद्र ने लागू की कई सशक्त योजनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बनाने का कार्य किया है। आज वित्तीय समावेश से लेकर सामाजिक सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा से लेकर आवास, शिक्षा से लेकर उद्यमिता तक नारी शक्ति को भारत की विकास यात्रा में सबसे आगे रखने के लिए कई प्रयास किए गए हैं।

राज्य में चल रही ये महत्वपूर्ण योजना

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में अनेक कार्य किये जा रहे हैं। लखपति दीदी योजना, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना, उज्ज्वला योजना, हर घर नल से जल, शौचालयों का निर्माण, महिला स्वयं सहायता समूह के लिए विशेष कोष का गठन जैसे अनेक कार्य किये गये हैं। आज प्रदेश की समस्त माताओं और बहनों ने अपने अथक परिश्रम से जहां एक ओर आर्थिक रूप से अपने आपको आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया है वहीं देवभूमि की सभ्यता और संस्कृति को भी जीवंत रखा है।

मुख्यमंत्री का प्रयास सराहनीय

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि तीलू रौतेली के जन्मदिवस के सुवअसर पर आधुनिक तीलू रौतेली व आंगनबाडी कार्यकत्रियों का सम्मान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा महिला सशक्तीकरण के लिए राज्य में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। दोनों पुरस्कारों की धनराशि बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा कि सामाजिक भेदभाव समाप्त कर ही समाज में महिलाओं की तरक्की सुनिश्चित हो सकती है। उन्होंने तीलू रौतेली एवं ऑगनबाड़ी पुरूस्कार प्राप्त करने वाली महिलाओं को बधाई दी। इस अवसर पर विधायक खजान दास, सचिव महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास हरि चन्द्र सेमवाल एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

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