फरासू भूस्खलन जोन : समय पर अस्थायी ट्रीटमेंट होता तो यातायात नहीं होता प्रभावित

देहरादून। ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे पर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच फरासू में भूस्खलन को रोकने के लिए अस्थायी ट्रीटमेंट भी कर लिया जाता तो हाईवे को बड़ा नुकसान नहीं होता ओर यातायात प्रभावित नहीं होता। जिलाधिकारी पौड़ी ने लोनिवि राष्ट्रीय राजमार्ग खंड को निर्देश दिए थे कि भूस्खलन जोन की समस्या के स्थायी समाधान में वक्त लग सकता है, लिहाजा अस्थायी सुरक्षात्मक उपाय किए जाएं, लेकिन विभाग ने इस पर अमल नहीं किया।
श्रीनगर से करीब छह किलीमीटर दूर फरासू से लगभग 400 मीटर पहले बदरीनाथ राजमार्ग का क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हो गया है। यहां पहाड़ी से लगातार मलबा आ रहा है, साथ ही अलकनंदा नदी से भी कटाव हो रहा है, जिससे बार-बार यातायात बाधित होने के साथ ही दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण रूट होने से सरकार इस भूस्खलन जोन के स्थायी समाधान के लिए काम कर रही है। विशेषज्ञों की टीम को यह काम सौंपा गया है।
मानसून सीजन में यह भूस्खलन विकराल रूप ले चुका है। प्रशासन चाहता है कि हाईवे पर बने भूस्खलन जोन क्षेत्र में दुर्घटना के खतरे को टालने के लिए फिलहाल अस्थायी ट्रीटमेंट कर लिया जाए। इसी आशय से उपजिलाधिकारी, श्रीनगर की ओर से 29 मई को राजस्व निरीक्षक से मौके की जांच कराई गई थी। राजस्व निरीक्षक और प्रभारी निरीक्षक कोतवाली की निरीक्षण रिपोर्ट अधिशासी अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग खंड को भेज दी गई थी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नगर प्रशासन लगातार भूस्खलन जोन के अस्थायी ट्रीटमेंट के लिए निर्देशित करता रहा आ रहा है, लेकिन अमल नहीं किया गया। इसके अलावा समय-समय पर स्थानीय मीडिया और सोशल मीडिया में भी उक्त पैच को इंगित कर समस्या की ओर ध्यान खींचा गया।
प्रशासन की ओर से लगातार निर्देशित किए जाने के बावजूद विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जाने पर 18 अगस्त को जिलाधिकारी ने स्वयं भूस्खलन जोन का निरीक्षण किया। जिलाधिकारी ने 19 अगस्त को विभाग को पत्र भेजकर तत्काल अस्थायी सुरक्षात्मक उपाय करने के निर्देश दिए थे, लेकिन विभाग फिर भी हरकत में नहीं आया। यदि राष्ट्रीय राजमार्ग खंड ने समय पर कदम उठाए होते, तो 11 सितम्बर को सड़क धंसाव से यातायात बाधित होने जैसी समस्या सामने नहीं आती।