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वीडियो….व्यवस्था की लीपापोती से 13 साल से अधूरी लिवाड़ी–फिताड़ी सड़क, ग्रामीणों का गुस्सा उफान पर

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा हाल में सड़कों की गुणवत्ता पर की गई सख्त चेतावनी और संबंधित वीडियो के वायरल होने के बाद प्रदेशभर में सड़क निर्माण कार्यों की स्थिति एक बार फिर सुर्खियों में है। इसी क्रम में अब मोरी ब्लॉक की लिवाड़ी–फिताड़ी सड़क का मामला फिर से चर्चा में आ गया है, एक ऐसा प्रोजेक्ट जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत वर्ष 2012 में स्वीकृत हुआ था, परंतु 13 वर्ष बाद भी अधूरा पड़ा है।

 

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, इस सड़क निर्माण कार्य में वर्षों से न केवल लापरवाही बरती जा रही है, बल्कि कार्य की गुणवत्ता को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क का पहला चरण अधूरा छोड़कर विभाग ने कार्य दूसरी निर्माण कंपनी को सौंप दिया, लेकिन नई कंपनी ने भी न तो निविदा की शर्तों के अनुसार काम किया, न ही समय पर सड़क पूरी की।

13 साल में न सड़क बनी, न जवाबदेही तय

साल 2013 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन आज तक सड़क की रोड़ कटिंग का कार्य तक पूरा नहीं हुआलिवाड़ी गांव तक सड़क आज भी नहीं पहुंच पाई है।
कासला, रेक्चा, राला, फिताड़ी और लिवाड़ी — ये वे पांच गांव हैं, जिन्हें इस परियोजना से सीधा लाभ मिलना था, लेकिन आज भी ग्रामीणों को आवागमन के लिए लकड़ी के पुल और अस्थायी रास्तों का सहारा लेना पड़ रहा है।

ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत से इस परियोजना को जानबूझकर ठप कर दिया गया। सड़क निर्माण में घटिया गुणवत्ता और गंभीर अनियमितताओं की शिकायतें कई बार की जा चुकी हैं, लेकिन न तो जांच आगे बढ़ी, न कोई कार्रवाई हुई।

ग्रामीणों में नाराजगी, चुनाव का बहिष्कार

विकास कार्यों में लापरवाही और उपेक्षा के विरोध में लिवाड़ी गांव के ग्रामीणों ने 2024 के लोकसभा चुनाव का बहिष्कार तक किया था। ग्रामीणों का कहना है कि शासन–प्रशासन ने उनकी आवाज़ को हमेशा नजरअंदाज किया।हाल ही में कासला गांव की एक गर्भवती महिला की मृत्यु भी सड़क न होने के कारण हुई, क्योंकि समय पर उसे अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। इस दर्दनाक घटना ने ग्रामीणों के गुस्से को और बढ़ा दिया है।

‘जांच और वादे नहीं, अब कार्रवाई चाहिए’

मोरी ब्लॉक निवासी पत्रकार अपर्णा रंगाड़ की सोशल पोस्ट के मुताबिक पिछले एक दशक से यह मामला सिर्फ कागजी जांचों और वादों तक सीमित है। शुरुआत में कार्य स्वीकृति में वर्षों लगते हैं, फिर निविदा प्रक्रिया और किस्तों में भुगतान के फेर में काम अधूरा रह जाता है। हर बार जांच का भरोसा दिया जाता है, लेकिन न जांच पूरी होती है, न सड़क। 13 साल में भी कुछ नहीं बदला, एक ग्रामीण ने आक्रोश जताते हुए कहा। उन्होंने सोशल मीडिया पर यहां की हालत को बयां करती पोस्ट की और सड़क की दुर्दशा की वीडियो साझा की हैं।

मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद उठी उम्मीद

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल में सभी जिलाधिकारियों को सड़क निर्माण कार्यों में लापरवाही पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं, पुरोला विधायक का सड़क निर्माण में घटिया कार्य को लेकर मुखर रुख भी चर्चाओं में है। ऐसे में अब ग्रामीणों को उम्मीद है कि लिवाड़ी–फिताड़ी सड़क का मामला भी शासन के संज्ञान में आएगा और इस लंबे समय से ठप परियोजना पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।

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