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उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा निदेशालय के फाइनेंस कंट्रोलर पर गंभीर आरोप

देहरादून। उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा निदेशालय श्रीनगर एवं मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में कार्यरत वित्त नियंत्रक पर भ्रष्ट्राचार और डीडीओ पावर के दुरुप्रयोग करने सहित कई अनियमितताओं का पत्र शासन में घूम रहा है। सीएम के नाम लिखे पत्र में हालांकि फर्मो का नाम नहीं लिखा गया है, किंतु फर्मो के प्रतिनिधि बसंत बिहार देहरादून के तीन लोगों ने अपना नाम लिखकर आरोप पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के वित्त नियंत्रक के खिलाफ कई मामला में भ्रष्टाचार के आरोप लगाये है। जिसमें आरोपकत्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा निदेशालय श्रीनगर एवं मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में हो रही अनियिमिताओं की जल्द जांच होनी चाहिए। वही बताया जा रहा है कि डीडीओ पावर भी शासन ने हटा दी है। इधर, एफसी से फोन पर सम्पर्क करने की काफी कोशिशें की गई। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। जब भी उनका पक्ष मिलेगा, उचित स्थान पर प्रकाशित किया जाएगा।

विगत दो माह पूर्व से फर्मो के प्रतिनिधि बसंत बिहार देहरादून से अमरनाथ त्रिपाठी, शैलेन्द्र कुमार, सुधीर गुप्ता के नाम से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भेजा गया है। हालांकि उक्त नाम से कोई फर्म है या नहीं इसकी पुष्टि जांच के बाद ही हो पायेगी। किंतु उक्त फर्मो के प्रतिनिधियों ने उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा निदेशालय श्रीनगर एवं मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के वित्त नियंत्रक के खिलाफ लिखे आरोपों के पत्र ने भूचाल मचाया है। आरोप में कहा गया है कि आहरण वितरण के लिए योग्य ना होने के बावजूद डीडीओ का कार्य कर कई अनियमिताएं की गई है। जिसकी जांच पड़ताल होनी चाहिए। इसके साथ ही सरकारी वाहन का दुरुप्रयोग करने की जांच करने की मांग उठाई है। पत्र में फर्मो के प्रतिनिधियों ने लिखा है कि प्राविधिक शिक्षा निदेशालय में जो सामान होने के बाद भी उस सामान को दोबारा मांगया जाता है। चाहने वालों को टेंडर देने का भी आरोप लगाया है। इसके साथ ही प्राविधिक शिक्षा के कर्मचारियों से वेतन आहरण करने में तथा निर्माण कार्यो में रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। उक्त पत्र शासन को मिलने पर शासन ने संबंधी विभागों को जांच के लिए आदेशित किया गया है, किंतु उक्त गंभीर आरोपों भरे पत्र में अभी तक जांच पड़ताल तक नहीं हो पायी है। उक्त आरोप की जांच पड़ताल शासन द्वारा की जानी चाहिए थी। ताकि पता चल सके कि उक्त आरोप सही है या नहीं। किंतु इतने भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भी उक्त मामले की फाइल दबी पड़ी है।

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