त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बड़ी चूक: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग की याचिका खारिज कर लगाया ₹2 लाख जुर्माना

देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की लापरवाही पर सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग की ओर से दाखिल याचिका को न केवल खारिज कर दिया, बल्कि 2 लाख का जुर्माना भी ठोंक दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि “निर्वाचन आयोग का कार्य कानून की व्याख्या करना नहीं, बल्कि उसका पालन करना है।
यह विवाद दोहरी मतदाता सूची से जुड़ा है। पंचायत चुनाव में 700 से अधिक ऐसे प्रत्याशी पाए गए जिनके नाम एक से अधिक मतदाता सूचियों में दर्ज थे। आयोग की अनदेखी के चलते ये प्रत्याशी न केवल चुनाव लड़े, बल्कि कई ने जीत भी हासिल कर ली। चुनाव के दौरान ही यह मुद्दा सामने आया था, लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग ने नियमों को दरकिनार करते हुए ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी।
इस पर शक्ति सिंह ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि दोहरी मतदाता सूची वाले प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने से रोका जाए। हाई कोर्ट ने शिकायत को सही मानते हुए आदेश दिया कि दोहरी मतदाता सूची अवैध है और आयोग को ऐसे प्रत्याशियों पर कार्रवाई करनी होगी।
हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने की बजाय, राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को फटकार लगाते हुए कहा राज्य निर्वाचन आयोग कानून की व्याख्या नहीं कर सकता। उसका कर्तव्य कानून का पालन करना है।इसके साथ ही अदालत ने आयोग पर 2 लाख का जुर्माना भी लगाया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का व्यापक असर
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से न केवल पंचायत चुनाव प्रभावित होंगे बल्कि नगर निकाय चुनावों पर भी असर पड़ सकता है। खासकर मसूरी नगर पालिका और देहरादून नगर निगम चुनाव में भी मतदाता सूचियों में अनियमितता के आरोप लंबे समय से उठते रहे हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार, सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए कितनी तेजी और पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करती है।