Uttarakhandउत्तराखंडदो टूकसरकार का फैसला

सचिवालय में सीएम की सर्जिकल स्ट्राइक: दागी अफसरों पर शिकंजा कसने की तैयारी

देहरादून। उत्तराखंड सचिवालय, जो वर्षों से भ्रष्टाचार और मनमानी का गढ़ बना हुआ था, अब मुख्यमंत्री की कड़ी निगरानी में आ गया है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने अधीनस्थों को साफ निर्देश दिए हैं कि सचिवालय के दागी अफसरों की ‘गोपनीय डोजियर फाइल’ तैयार की जाए, जिसमें उनके हर एक कारनामे का क्रमवार ब्यौरा दर्ज होगा। इसमें वे अफसर भी शामिल होंगे, जिन्होंने राजनीतिक रसूख के दम पर जांचें दबवाईं या लंबित कराईं।

सीएम की सीधी पकड़, कई अफसर हटाए गए

पिछले छह महीनों में मुख्यमंत्री ने कई अनुभाग और समीक्षा अधिकारियों पर सीधा हस्तक्षेप करते हुए उन्हें अनुभागों से हटाया है। यह वही अफसर थे, जिन्होंने वर्षों से विभागों की नब्ज अपने कब्जे में ले रखी थी और वरिष्ठ आईएएस तक को दरकिनार करने लगे थे।

‘खान साम्राज्य’ का पतन

सचिवालय में वर्षों तक मनमानी करने वाले अनुभाग अधिकारी खान का मामला सबसे चर्चित रहा। जांच में सामने आया कि उनकी फाइलें सीधे अपर मुख्य सचिव तक पहुंचाई जा रही थीं, जिससे विभागीय अनुशासन तार-तार हो गया था। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद खान को तत्काल हटाया गया और सचिवालय में कई अफसरों ने राहत की सांस ली।

 नेता-टाइप और ‘आरडीएक्स’ अफसरों पर भी नजर

जानकारी के अनुसार एक अधिकारी पर गलत डीपीसी कराने और सुविधा शुल्क लेने का आरोप है, जिसकी फाइल राजनीतिक दबाव में दबा दी गई थी।वहीं, सचिवालय में कुख्यात ‘आरडीएक्स’ नाम से मशहूर अधिकारी पर फाइल गायब करने और पैसे लेकर ट्रांसफर कराने जैसे गंभीर आरोप हैं। महिला अफसरों में भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आए—एक ‘मिस 50,000’ नाम से मशहूर हैं, जिनकी हर फाइल पर सिग्नेचर की तय दर थी।

 आईएएस अधिकारी भी राडार पर

मुख्यमंत्री की निगरानी सूची में पांच आईएएस अधिकारी भी शामिल बताए जा रहे हैं। इनमें एक दंपति ने लंदन में संपत्ति खरीदी और बारी-बारी से विदेश जाकर उसकी देखरेख करते रहे। एक अन्य आईएएस पर आरोप है कि उन्होंने आपदा को अवसर बनाकर 50 से अधिक इंजीनियरों के तबादले कर करोड़ों की कमाई की। 

सचिवालय की साख बचाने की कवायद

बीते एक दशक में सचिवालय की गरिमा पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अब मुख्यमंत्री की सीधी पकड़ के बाद यह संदेश साफ है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस लागू होगा और चाहे अनुभाग अधिकारी हों या आईएएस, किसी को बख्शा नहीं जाएगा। इस सख्ती को नौकरशाही में ‘सीएम की सर्जिकल स्ट्राइक’ कहा जा रहा है, जो आने वाले दिनों में सचिवालय की कार्यसंस्कृति और पारदर्शिता को नई दिशा दे सकती है।

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