चारधाम यात्रा : बद्रीनाथ धाम में सुरक्षा को चमोली पुलिस और भारतीय सेना समन्वय से संभाल रही मोर्चा

-श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुविधा, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन हेतु हाई अलर्ट मोड में सुरक्षा बल
देहरादून। चारधाम यात्रा 2025 के अंतर्गत इस वर्ष लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड स्थित भगवान बद्रीनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुँच रहे हैं। तीर्थयात्रियों की लगातार बढ़ती संख्या और कठिन हिमालयी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन द्वारा यात्रा को सुरक्षित, सुगम और व्यवस्थित बनाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रबंध किए गए हैं। खासकर आपदा के दौरान भी तीर्थयात्रियों को सुरक्षित दर्शन हो, इसके लिए पुलिस और सेना श्रद्धालुओं के लिए कवच बने हुए हैं।
इसी क्रम में चमोली जनपद में चमोली पुलिस और भारतीय सेना की 07 आसाम रेजिमेंट के बीच एक संयुक्त सुरक्षा कार्य योजना तैयार की गई है, जिसके तहत बद्रीनाथ धाम और उसके आसपास के क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई है। यह व्यवस्था न केवल सुरक्षा तक सीमित है, बल्कि तीर्थयात्रियों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं, आपदा प्रबंधन, मार्गदर्शन और त्वरित रेस्क्यू सहायता भी प्रदान कर रही है। सेना और पुलिस समन्वय के साथ दिनरात भगवान बद्रीनाथ के सुरक्षित दर्शन श्रद्धालुओं को कराया जा रहा है।
संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात QRT, हर स्थिति के लिए तैयार
बद्रीनाथ धाम की भौगोलिक बनावट, ऊँचाई, मौसम की अनिश्चितता और सीमित संसाधनों के बीच, अचानक जनसंख्या वृद्धि आपात स्थिति उत्पन्न कर सकती है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए मंदिर परिसर, पैदल यात्रा मार्ग, विश्राम स्थल, पार्किंग क्षेत्र तथा अन्य संवेदनशील स्थानों पर पुलिस और सेना की संयुक्त गश्ती टीमें तैनात हैं।
बद्रीनाथ धाम के थानेदार नवनीत भंडारी और 07 आसाम रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल शिवेश तिवारी ने जानकारी दी कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा में तैनात की गई QRT (Quick Reaction Team) न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर निगरानी रख रही है, बल्कि वह आवश्यकतानुसार श्रद्धालुओं को चिकित्सा सहायता, दिशा-निर्देश, आपदा के समय राहत और बचाव अभियान जैसी सेवाएं भी दे रही है। इस दौरान स्थानीय पुलिस और सेना के साथ समन्वय अनुकरणीय है।
श्रद्धालुओं में विश्वास का संचार
प्रशासन और सेना के इस संयुक्त प्रयास से तीर्थयात्रियों में सुरक्षा को लेकर विश्वास बढ़ा है। यह समन्वय न केवल कठिन परिस्थितियों में राहत पहुंचाने में सक्षम है, बल्कि श्रद्धालुओं को यह संदेश भी देता है कि उनकी आध्यात्मिक यात्रा को हर संभव सहायता और संरक्षण प्रदान किया जाएगा।
एक अनुकरणीय पहल
बद्रीनाथ जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्र में सेना और स्थानीय प्रशासन की यह एक अनुकरणीय साझेदारी है, जिससे न केवल सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई है बल्कि यात्रा का अनुभव भी अधिक व्यवस्थित और संतुलित हुआ है। यह प्रयास अन्य धार्मिक स्थलों और पर्वतीय यात्राओं के लिए भी एक आदर्श मॉडल के रूप में देखा जा सकता है।