उत्तराखंड में करोड़ों के उद्यान घोटाले की जांच सीबीआई करेगी, एसआईटी की जांच पर फिर उठे गंभीर सवाल
देहरादून। उत्तराखंड में घोटालों के बाद घोटाले सामने आ रहे हैं ऐसे में सरकार की सख्ती पर जांच तो शुरू हो रही, लेकिन एजेंसियां लीपापोती करने में जुटी है। यही कारण है कि हाईकोर्ट को हर मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा रहा है। अभी कॉर्बेट पार्क में करोड़ों के घोटाले की जांच हाइकोर्ट के आदेश पर सीबीआई के सुपुर्द ही हुई थी कि कल हाइकोर्ट ने एक और चर्चित घोटाले की जांच भी राज्य एसआईटी से छीनकर सीबीआई को सौंप दी है। हाइकोर्ट के इस निर्णय से जहां भ्रष्टाचारियों में हड़कंप मचा है, वहीं राज्य की एसआईटी भी सवालों के घेरे में आ गई हैं।
उत्तराखंड में उद्यान विभाग के चर्चित निदेशक हरमिंदर सिंह बाजवा के साथ ही करोड़ों के उद्यान घोटाले में शामिल रहे नेता और अफसरों की मुश्किलें बढ़ने वाली है। हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस बिपिन सांघी और जस्टिस राकेश थपलियाल ने जो टिप्पणी उद्यान घोटाले को लेकर की हैं, वह गंभीर है। कोर्ट ने जिस प्रकार से कहा कि एसआईटी जांच में लापरवाही के कारण ही उद्यान घोटाले की जांच सीबीआई से करानी जरूरी है। गौरतलब है कि निलंबित उद्यान निदेशक हरमिंदर बाजवा ने उत्तरकाशी, चंपावत और अल्मोड़ा आदि जिलों के उद्यान अधिकारियों के साथ बागवानी मिशन के नाम पर करोड़ों का फर्जीवाड़ा किया है। इस मामले में कुछ नेता बाजवा को बचाते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के संज्ञान में मामला आने पर सरकार ने बड़ी कार्रवाई कर बाजवा को निलंबित और मामले की एसआईटी जांच के आदेश दिए। एसआईटी अभी पूरी तरह से जांच भी शुरू नहीं कर पाई की सवाल उठने लगे। इस मामले में हाइकोर्ट में दायर पीआईएल पर कोर्ट ने एसआईटी को स्पष्ट जांच का मौका भी दिया। लेकिन हर बार हाइकोर्ट को संतोषजनक रिपोर्ट नहीं मिली। इस मामले में हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान जब एसआईटी की रिपोर्ट पर सवाल उठे तो कोर्ट ने कल कड़ा फैसला देते हुए प्रकरण की निष्पक्ष जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए हैं। कोर्ट में निलंबित निदेशक बाजवा के द्वारा किए गए घोटाला, पेड़ लगाने से लेकर भुगतान की प्रक्रिया, ट्रांसफर पोस्टिंग समेट स्वीकृत प्रस्तावों की जांच के आदेश दिए हैं। बहरहाल मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के बाद अब घोटाले में संलिप्त नेता और अफसरों में हड़कंप मचा है।