उत्तराखंड में भूस्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली को लेकर यूएसडीएमए और जीएसआई के बीच समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित

देहरादून। उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के बीच भूस्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली (Landslide Early Warning System) के क्रियान्वयन और प्रमाणीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस समझौते का उद्देश्य उत्तराखंड में क्षेत्रीय स्तर पर प्रायोगिक भूस्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करना, इसे संचालनात्मक मॉडल के रूप में विकसित करना, सूचना के प्रसार हेतु मानक प्रचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करना और भूस्खलन प्रबंधन योजना के विकास में सहयोग करना है। समझौते पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन तथा GSI के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. हरीश बहुगुणा ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर सचिव सुमन ने कहा कि, “राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण विभिन्न संस्थानों के साथ मिलकर आपदा जोखिम न्यूनीकरण की दिशा में कार्य कर रहा है। शोध संस्थानों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे प्रभावी सुरक्षा तंत्र विकसित करने में आगे आएं। USDMA हर प्रकार से सहयोग करने को तैयार है।”
गौरतलब है कि यह एमओयू, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (देहरादून) द्वारा आयोजित कार्यशाला के उपरांत हस्ताक्षरित हुआ। कार्यशाला का विषय था – “भूस्खलन आपदा जोखिम न्यूनीकरण : विज्ञान एवं सुशासन के माध्यम से जागरूकता और प्रतिक्रिया को सशक्त बनाना।” इसमें क्षेत्रीय भूस्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली के महत्व पर विशेष चर्चा हुई। कार्यशाला की अध्यक्षता राजेन्द्र कुमार, अपर महानिदेशक एवं प्रमुख, जीएसआई उत्तरी क्षेत्र ने की, जबकि समन्वय डॉ. सी.डी. सिंह, उपमहानिदेशक, जीएसआई देहरादून द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. सुरेखा डंगवाल, कुलपति दून विश्वविद्यालय और विशिष्ट अतिथि के रूप में सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन उपस्थित रहे।इस कार्यशाला में 28 संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख रूप से USDMA, ULLMC, THDC, IIRS, ICAR, CBRI, CIMFIR, दून विश्वविद्यालय, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी तथा पदुवा विश्वविद्यालय, इटली शामिल थे।