Uttarakhandउत्तराखंडचिंताजनक

उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में नकल और धांधली का लंबा इतिहास: हाकम ही हाकम

(वरिष्ठ पत्रकार, रवि नेगी की फेसबुक वॉल से)

उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में घोटाले और धांधली का सिलसिला राज्य के गठन के समय से ही चला आ रहा है। दरअसल, भर्ती माफिया और नकल गैंग के प्रभाव से कोई भी बचा नहीं—यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी तक।

दरोगा और पटवारी भर्ती का काला इतिहास

दरोगा भर्ती घोटाले को नई पीढ़ी शायद याद नहीं रखती, लेकिन यह घोटाला अपने समय में बड़ा हंगामा खड़ा कर चुका था। रुड़की आईआईटी से चयनित युवाओं की लिस्ट पुलिस मुख्यालय में बदल दी गई थी, जबकि लिखित परीक्षा में अच्छे नंबर लाने वालों को इंटरव्यू में फेल कर दिया गया। कई युवाओं ने 10 साल तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटे, कुछ ने लंबी लड़ाई के बाद ही नौकरी पाई।

पटवारी भर्ती में भी हाकम सिंहों ने नियम और मानकों को ताक पर रख दिया। आवेदन न भरने वालों को सीधे नियुक्ति पत्र थमा दिए गए। इसी समय मंडी परिषद की भर्तियों में भी बेरोजगार ठगे गए। दरोगा भर्ती घोटाले में तत्कालीन डीजीपी पी.डी. रतूड़ी हटाए गए, जबकि पटवारी भर्ती घोटाले में डीएम लांबा निलंबित और बाद में बर्खास्त हुए।

जल निगम और तकनीकी भर्ती में धांधली

2005 में उत्तराखंड पेयजल निगम की जेई और एई भर्ती परीक्षा में भी गड़बड़ी हुई। बिहार के एक ही कॉलेज के छात्र आरक्षित पदों पर चयनित किए गए। 2007 में पंजाब यूनिवर्सिटी से आयोजित परीक्षा में और भी अजीब घटनाएं हुईं—पहली परीक्षा में टॉपर लोग फेल हो गए और पिछली बार कमजोर प्रदर्शन करने वाले छात्र पास हो गए।

राज्य में पंतनगर विश्वविद्यालय, प्राविधिक शिक्षा परिषद, पंजाब यूनिवर्सिटी, और लोक सेवा आयोग की भर्तियों में भी धांधली लगातार होती रही। ऊर्जा निगमों में भर्ती नोएडा और गाजियाबाद के संदिग्ध संस्थानों से हुई। 2002 से 2010 तक अधिकांश भर्तियां विवादों में रही, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

यूकेएसएसएससी का गठन और नया धोखा

2015 में कांग्रेस सरकार ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) का गठन किया। इसके अध्यक्ष पाक साफ माने जाने वाले आईएफएस अफसर आर.बी.एस. रावत बनाए गए। शुरुआती उम्मीदों के बावजूद, यूकेएसएसएससी में भर्ती घोटाले और खेल जारी रहे। 2015 की सहायक लेखाकार भर्ती और 2016 की ग्राम विकास अधिकारी भर्ती में धांधली हुई।सूचनाओं के अनुसार ओएमआर शीट्स डबल लॉक में सुरक्षित रहने के बजाय आयोग के अधिकारियों के बैग में घूमती रही। हाकम सिंह और उनके साथी इस सिस्टम में घुसपैठ बनाए हुए थे, और किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।

अब जेल और कानून की मार

2021 और 2022 में हाकम सिंह और उनके सहयोगियों को जेल भेजा गया। यूकेएसएसएससी अध्यक्ष आरबीएस रावत, कन्याल और पोखरिया भी जेल गए। नकल गैंग के लगभग 100 लोग जेल गए और नकल कानून बनाया गया। इसके बाद हुई भर्तियों में आम युवाओं को नौकरियों का मौका मिलने लगा।कई युवा मेहनत और काबिलियत के दम पर नौकरी पाने में सफल हुए—जैसे टिहरी के धर्मांनंद, रुद्रप्रयाग के विक्रम सिंह, पौड़ी की नूतन, हरिद्वार के अंशुल, उत्तरकाशी के शंकर भंडारी और टिहरी के हरिओम।

आंदोलन और युवाओं की चेतावनी

हालांकि, हाकम रूपी भ्रष्ट तत्वों की गिरफ्तारी और निलंबन से भी युवाओं का विश्वास डगमगाया। बेरोजगार संघ ने अपनी मांगों को लेकर परेड ग्राउंड में आंदोलन जारी रखा है।युवाओं को चेतावनी दी गई है कि वे अपने मंच का इस्तेमाल किसी की राजनीति चमकाने या धर्म और सत्ता पर व्यक्तिगत एजेंडे चलाने के लिए न होने दें। मंच का फोकस सिर्फ नकल और भर्ती घोटालों पर होना चाहिए।जैसा कि देश के महान क्रांतिकारियों ने बड़े मंचों का सही इस्तेमाल किया, बेरोजगार युवाओं को भी अपने आंदोलन को राष्ट्र विरोधी ताकतों से दूर रखना होगा। यह आंदोलन उनके भविष्य और उत्तराखंड में भर्ती प्रणाली सुधारने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button